Details, Fiction and best hindi story

मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

सब को डरा कर वाह अपने को गली का सेट समझने लगा था। उसके झुंड में एक छोटा सा शेरू नाम का डॉगी भी था।

Graphic: Courtesy Amazon That is a critically acclaimed satirical Hindi novel published by Shrilal Shukla and revealed in 1968. This Hindi fiction e book offers a scathing critique from the socio-political landscape of rural India. Established during the fictional city of Shivpalganj, the narrative unfolds throughout the eyes of your protagonist, Ranganath, a youthful man who returns to his ancestral village to Get well from an sickness.

असम विधानसभा में जुमे की नमाज़ का ब्रेक ख़त्म करने पर हंगामा, हिमंत बिस्वा सरमा पर जेडीयू हमलावर

इस कहानी से हमे क्या नैतिक शिक्षा मिलती है?

इस बीच नए युवा कहानीकारों ने नए सिरे से बदले जीवन अनुभवों और बदले यथार्थ को अपनी कहानियों में समेटना शुरू किया है.

यह बच्चों के लिए एक गुजराती लोक कथा है।

मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।

ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे।

मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो click here आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन

Last Up-to-date on: 29/06/2024 by Hindi Vibhag Nowadays we have been creating Hindi brief stories with ethical values for teenagers. These stories are only for kids and likewise written in that lucid language. These Hindi tales with morals may be useful for lecturers.

कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ

कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ

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